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Tuesday, July 16, 2019

उन अल्फाज़ो के क्या करूँ जो बोल तो रही है मगर कानों से होकर दिल तक पहुच नही पा रही

अल्फाजो की भी अजीब कशमकश है कहना भी चाहती है चुप रहना भी चाहती है..मगर आज अल्फाजो को लगा कि सवालों को पूछ ही डालू मगर किससे जबाब मांगू ? कुर्शी पे बैठे सरकार से, आपसे या खुद से..बारिश सिर्फ तभी अच्छी लगती है जब छत से ना टपकती हो उन लोगों को बारिश की झमझमाहट से डर लगता होगा जब पानी का बहाव कई घरों के सुख चैन छीन बहा के ले जाती है..मगर शायद किसी को मेरे अल्फाज उनके कानों से होते हुए दिल तक नही पहुँच पाऐंगे जो अल्फाज मेरे चिल्ला-चिल्ला के उनकी हालात बयां कर रही है...
क्या अल्फाजो...
सबसे बुरा क्या होता है, अल्फाजो की चुप होना
सबसे बुरा होता है, आत्माओ का मर जाना
सबसे बुरा होता है, इच्छाओं का मर जाना
सबसे बुरा होता है, भूख मिटाने का साधन का नही होना...